मोको कहां ढूढे रे बन्दे
कबीर
कबीर
मोको कहां ढूढे रे बन्दे,
मैं तो तेरे पास में
ना तीर्थ मे ना मूर्त में,
ना एकान्त निवास मेंना मंदिर में ना मस्जिद में, ना काबे कैलास में
मैं तो तेरे पास में बन्दे, मैं तो तेरे पास में
मैं जप में ना मैं तप में, ना मैं बरत उपास में
ना मैं किर्या कर्म में रहता, नहिं जोग सन्यास में
नहिं प्राण में नहिं पिंड में, ना ब्रह्माण्ड आकाश में
मैं प्रकति प्रवार गुफा में,नहिं स्वांसों की स्वांस में
खोजि होए तुरत मिल जाउं,इक पल की तालाश मेंकहत कबीर सुनो भई साधोमैं तो हूँ विश्वास में
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