Saturday 24 March 2012

धोखा


धोखा

 
हम गयेन याक दिन लखनऊवै,
कक्कु संजोग अईस परिगा ,
पहिले पहिल हम सहरू दीख,
सो कहूँ कहूँ धोखा होइगा ׀

जब गएँन नुमाईस धाखै हम,
जहैं कक्कु भारी रहै भीर,
दुइ तोला चारि रुपइया कै ,
हम बीसहा सोने कै जनजीर ׀

लखि भई घरैतिन गलगल बहुल,
मुला चार दिनन माँ रंग बदला,
उन कहा कि पीतर लइ आयो ,
हम कहा बडा धोखा होइगा ׀

म्वाछन का कीन्हे सफाचट ,
मुहँ पावडर और सिर केस बड़े ,
तहमत पहिने अंडी ओढ़े,
बाबूजी याके रहे खड़े ׀

हम कहा मेंम साहेब सलाम ,
उई बोले चुप बे डैम फूल,
मै मेंम नही हूँ साहेब हूँ ,
हम कहा फिरउ धोखा होइगा ׀

हम गयेंन अमीनाबादै जब,
कुछ कपडा लेय बजामा मा ,
माटी कै सुधरि मेहरिया असि,
जहाँ खडी रहै दरवाजा मा ׀

समझा दुकान कै यह मलिकिन ,
सो भाव ताव पूछै लागेन,
यकै बोले यह मूरति है,
हम कहा बडा धोखा होइगा ׀

घुसी गयेन दुकानै दीख जहाँ ,
मेहरेरूआ याकै रही खड़ी,
मुहँ पावडर पोते उजर उजर,
औ पहिने साड़ी सुधर बड़ी ׀

हम जाना मूरति माटी कै ,
सो सारी पर जब हाथु धरा ,
उइ झझकि भकुरि खउखाय उठी,
हम कहा फिरउ धोखा होइगा ׀


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