धोखा
हम गयेन याक दिन लखनऊवै,
कक्कु संजोग अईस परिगा ,पहिले पहिल हम सहरू दीख,
सो कहूँ कहूँ धोखा होइगा ׀
जब गएँन नुमाईस धाखै हम,
जहैं कक्कु भारी रहै भीर, दुइ तोला चारि रुपइया कै ,
हम बीसहा सोने कै जनजीर ׀
लखि भई घरैतिन गलगल बहुल,
मुला चार दिनन माँ रंग बदला,उन कहा कि पीतर लइ आयो ,
हम कहा बडा धोखा होइगा ׀
म्वाछन का कीन्हे सफाचट ,
मुहँ पावडर और सिर केस बड़े ,तहमत पहिने अंडी ओढ़े,
बाबूजी याके रहे खड़े ׀
हम कहा मेंम साहेब सलाम ,
उई बोले चुप बे डैम फूल,मै मेंम नही हूँ साहेब हूँ ,
हम कहा फिरउ धोखा होइगा ׀
हम गयेंन अमीनाबादै जब,
कुछ कपडा लेय बजामा मा ,माटी कै सुधरि मेहरिया असि,
जहाँ खडी रहै दरवाजा मा ׀
समझा दुकान कै यह मलिकिन ,
सो भाव ताव पूछै लागेन,यकै बोले यह मूरति है,
हम कहा बडा धोखा होइगा ׀
घुसी गयेन दुकानै दीख जहाँ ,
मेहरेरूआ याकै रही खड़ी,मुहँ पावडर पोते उजर उजर,
औ पहिने साड़ी सुधर बड़ी ׀
हम जाना मूरति माटी कै ,
सो सारी पर जब हाथु धरा ,उइ झझकि भकुरि खउखाय उठी,
हम कहा फिरउ धोखा होइगा ׀
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