Tuesday 13 March 2012

चुनौती


                     चुनौती

है उन्हें मेरी चुनौती,
जो कि मेरे रक्त से श्रृंगार करना चाहते हैं |
वेदना शर्मां रही है देख कर मुस्कान मेरी,
मोम बनती जा रही है,सुन रसीली तान मेरी,
चाँद मेरा मीत है, रवि से नही भयभीत हूँ मै,
वे सुने ललकार मेरी |

जो कि मेरे वक्ष पर अंगार धरना चाहते हैं ,
जो कि मेरे रक्त से श्रृंगार करना चाहते हैं ||
मै जिया उनचास पवनों में प्रलय का गीत बनकर ,
घन घटाओ में रहा हूँ, बिजलियों की जीत बनकर ,
आंधियों के श्याम कुन्तल, प्यार से मैंने सँवारे ,
वे सुने जयघोष मेरा |
व्यर्थ है जो रक्त की नवधार बनाना चाहते हैं ,
जो कि मेरे रक्त से श्रृंगार करना चाहते

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