वेदना का गीत
वेदना का गीत गाकर,
वेदना तुमने बटा ली |
आज अपनी वेदना के,
जब कि मैंने गीत गाये,
मन विपंची के तुम्हारे,
तार भी तन झनझनाए ,
साथ मेरे मंद स्वर में,
तान तुमने भी निकाली
वेदना का गीत गाकर,
वेदना तुमने बटा ली |
आज अपनी वेदना,
द्रिघ में तुम्हारे छलछलाई,
आह की प्रतिधव्नी तुम्हे छू,
पास मेरे लौट आई,
आज तो मेरे हृदय की,
भावना साकार पाली
वेदना का गीत गाकर,
वेदना तुमने बटा ली |
प्राण प्राणों से गये मिल,
क्या मिले दो कंठ स्वर के,
प्राण प्राणों में गये घुल,
क्या मिले आतुर अधर–कर,
दी बना किसने उजाली ,
आज मेरी रात काली ,
वेदना का गीत गाकर,
वेदना तुमने बटा ली |
जल रहा जिस अग्नि में था,
एक युग से मै निरंतर,
दी बुझा तुमने उसे दो,
बूंद आँसू की गिराकर ,
एक पल पहले जहाँ थे,
साध के दाहक अँगारे,
तुम खड़ी हो उस जगह पर,
दीप आशा के संभारे ,
किन गृहों ने मिला दी,
आज होली से दिवाली
वेदना का गीत गाकर,
वेदना तुमने बटा ली |
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