Thursday 29 March 2012

“अग्निपथ”--हरिवंश राय बच्चन

“अग्निपथ”

हरिवंश राय बच्चन

वृक्ष हो भले खड़े,
हो घने हो बड़े,
एक पत छाव की |
मांग मत, मांग मत, मांग मत ||
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ |||


तू न थकेगा कभी,
तू न थमेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी |
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ ||
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ |||


ये महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु स्वेद रक्त से |
लथपथ, लथपथ, लथपथ ||
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ |||

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