Monday 19 March 2012

पुष्प की अभिलाषा --माखन लाल चतुर्वेदी


पुष्प की अभिलाषा

माखन लाल चतुर्वेदी


चाह नहीं सुरबाला के गहनों में  गूँथा जा‌‌‍ऊँ,
चाह नहीं,प्रेमी माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ |

चाह नही,सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ, ‌‌‍
चाह नहीं,देवो के सिर पर चढूँ,भाग्य पर इठलाऊँ ||

मुझे तोड़ लेना वनमाली,उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढाने,जिस पर जावें वीर अनेक ||

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